गोंड समुदाय की उत्पत्ति टोटम व्य वस्था,Origin of Gond Community,
April 02, 2020
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AS markam
Origin of Gond Community
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गोंड समुदाय की उत्पत्ति टोटम व्य वस्था
ऐतिहासिक मतों के अनुसार धरती पर ५० हजार वर्षो पूर्व चौथा हिम प्रलय आया था जिसका प्राभव २५ हजार वर्षो तक मन जाता है ,जिससे हिम की कठोरता जारी रही। भारत में भी परिवर्तन इसी प्राभव से हुआ। १२ हजार वर्ष पूर्व मनुस्यो की एक नई प्रजाति दिखाई पड़ी।,जिससे इस युग को नव पाषण युग के वर्षो पश्चात समान समूह में रहने लगा कुछ नए अविष्कार भी किये जैसे पथरो के औजार से सीकर करना अग्नि का अविष्कार खाद सामग्री का संग्रहण आदि ततपश्चात धातु का पता लगाकर धातु के औजार दीपक के प्रयोग मुर्दो को दफनाना ,मिटटी के बर्तन ,पक्काकर कर खाने की प्रकिया ,अनाज का प्रयोग हो चूका था। भाषा सांकेतिक रूप ले चूका था
जिस कल में धरती के प्रथम दार्शनिक साधक पर्यवरण विद ज्ञानी।,वैज्ञानिक आदि मानवो के धर्म गुरु का जन्म हुआ। उस काल में आदिम समुदाय कबीलो में गुजर कर गढ़ व्यवस्था के अनुरूप अपना। जीवन यापन करने लगा था ,किन्तु सभी गढ़ों में घोर समाजिक अव्यवस्था कायम थी ,जान समुदाय के लोग छोटे छोटे समूह में रहते थे उनमे एकता बिलकुल नहीं थी ,आपस में भाई भाई लड़ते मरते थे कभी परवर्क विवाद के कारण तो कभी जादू टोना के नाम पर ,,कभी जंगली जानवरो के समाजिक व्यवथा समाप्त हो चुकी थी. उस समय लिंगो ने पारस्परिक जीवन त्याग दिया था
और वे माता कली कंकाली के बच्चे जिन्हे संभु सेक ने कोयली कचारगढ़ गुफा में बंद कर के रखा रायटर जंगो एवं हिरासुका पाटीदार की सहयता से मुक्त कर उन्हें अपना शिष्य बनाया। लिंगो ने सम्पूर्ण कोय प्रदेश में घूम घूमकर इस दृश्य को देखा की जो शक्तिसाली था उस गांव में शासन उसी का चलता था लोग क्रोध में आकर पूरा गाओं जला डालते थे। सभी घटनाओ का लीगो ने गहन अध्ययन किया सोचा की किस प्रकार कोया लोगो में एकता स्थापित किया जय। किस तरह उन्हें संगठित किया जा सकता है अप्रदिक प्रवित्ति को किस तरह रोका जा सकता है उन्हें किस प्रकार की सिक्छा दी जाय जिनसे उनमे चेतना जागृत हो . इन्ही विचारो सुलझाने के लिए उन्होंने १२वर्शो तक कठिन तपस्या की तपस्या के पश्चात बूढ़ादेब के असिर्वचन से लिंगो ने कोया समुदाय के लोगो को संगठित करने के लिए गोटुल की स्थापना कर उन्हें गीत, संगीत, कला , नृत्य जीवन ,दर्शन ,तीर धनुष।,सचालन तत्व ज्ञान विज्ञानं मुंडा तोंडा कुंडा ,पेनकादा अनुसासन नैतिक सिक्छा तथा १८ प्रकार के वाध यंत्रो का गया देकर उन्हें संगठित करना प्रारम्भ किया मानव समुदाय को पवित्र किया संस्कार दिया। प्रकृति सम्मत मानवता का पाठ पढ़ाया ,बाबा लिंगो ने सैम विसम गोत्र टोटम व्यवस्था बनाया और गढ़ व्यवस्था निर्माण किया उन्होंने अपने आप में सभी जिव जंतुओ का आवाज धवनि बोलचाल भासा ज्ञान अर्जित कर रखा था वनस्पति विज्ञानं का भी ज्ञान अर्जित कर रखा था जिन्हे धर्म गुरु परि कुपार लिंगो सामजिक सामजिक सिधान्तो को प्रतिपादित किया
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