मोती महल रामनगर मंडला | Moti Mahal Ramnagar Mandla

मोती महल रामनगर मंडला | Moti Mahal Ramnagar Mandla


moti mahal ramnagar mandla , raaja ka mahal ramnagar , ramnagar ka kila, mandla ka kila
Moti Mahal Ramnagar Mandla

 रामनगर  मंडला | Ramnagar Mandla -

गोंड राजाओं की राजधानी  जबलपुर का गढ़ा और नरसिंहपुर जिले का चौरागढ़ हुआ करती थी परन्तु सन् 1651 में पहाड़ सिंह बुंदेला ने चौरागढ़ पर हमला कर अपने अधिकार में ले लिया | इस समय गोंड राजा हृदय शाह का शासन था  | इस स्थिति में राजा  हृदय शाह  ने मंडला से 17 किलोमीटर दूर जंगलों के बीच सुरम्य वातावरण और  पवित्र नर्मदा नदी के किनारे  रामनगर (Ramnagar) में अपनी  राजधानी बनाई |रामनगर में राजा  हृदय शाह   ने कई महल और मंदिर बनवाये जिनमें से अधिकांश इमारतें आज भी सुरक्षित हैं जिनमे मोती महल (Moti Mahal Ramnagar Mandla) , रानी (बेगम) महल (Rani mahal Ramangar) , राय भगत की कोठी ( Rai Bhagat Ki Kothi  Ramangar)   और विष्णु मंदिर मुख्य हैं |रामनगर  कई गोंड राजओं की राजधानी रहा है | ये सभी इमारतें  समय के सांथ-सांथ नष्ट होने लगी थीं परन्तु अब पुरातत्व विभाग द्वारा  इन्हें बचाने के प्रयत्न किये जा रहे हैं | पुरातत्व विभाग द्वारा  इन्हें संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है |राजा हृदय शाह  तंत्र  विद्या और संगीत के महान ज्ञाता थे | उन्होंने 'हृदयरमा ; नामक रागिनी की रचना कर ' हृदय कौतुक '  और 'हृदय प्रकाश ' नामक ग्रंथों की रचना कर  संगीत शास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया | 24 अप्रेल 2018 से  को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी रामनगर से  आदिवासी विकास पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की |

 मोतीमहल रामनगर मंडला  | Moti Mahal Ramnagar Mandla-

moti mahal ramnagar mandla
Moti Mahal Ramnagar Mandla

मंडला जिले के रामनगर(Ramnagar)  में स्थित मोती महल का (Moti Mahal )निर्माण  सन्  1667 ईसवी में गोंड राजा हृदय शाह द्वारा पवित्र नर्मदा नदी के किनारे करवाया गया था |इस महल को ''मोती महल'' या ''राजा का महल'' भी कहा जाता है | इस महल का मुख उत्तर दिशा की ओर नर्मदा नदी की ओर है | मोती  महल का आकार आयताकार है जो बाहर से 64.5 मीटर लंबा और 61 मीटर चौड़ा है | महल के  भीतर विशाल आँगन है जिसके बीचो-बीच एक विशाल कुंड है  जिसमें पानी भरा रहता है  इसे स्नानागार  भी कहा जाता है | महल के सामने एक बड़ा गेट है  |मोती  महल (Moti Mahal ) तीन मंजिला है , जिसमें ऊपर जाने के लिए सीढियां बनी हैं | महल में तलघर भी है | मोती महल की  हर मंजिल पर बहुत से छोटे बड़े कमरें हैं जिनमे बीच के और बहार की और स्थित कमरे लंबे है और बगल के और अन्दर के ओर के कमरे आकार में छोटे हैं | जिनमे राजा का अन्तः पुर  निवास हुआ करता था| माना जाता है कि अपने निर्माण के समय महल नर्मदा नदी से 80 फीट के ऊंचाई पर था |मोती महल  के आँगन की दीवार में लेख जडा  हुआ है जिसमें गोंड राजवंश के संस्थापक यदुराय  जिन्हें जादौराय भी कहा जाता है से लेकर हृदय शाह तक के राजाओं की वंशावली दी गई है | इस लेख में तिथि विक्रम संवत् 1724  (सन्  1667 ) लिखी हुई है | महल की दीवार से लगा  हांथी खाना है  जिसमें  हांथियों को रखा जाता था | हांथी खाने के पास ही घोड़ों को रखने भी व्यवस्था थी | महल का निर्माण चूने , गारे , गुड और बेल की गोंद  से किया गया है | मोती महल में कुछ सुरंगे भी है माना जाता है कि ये सुरंगे जबलपुर के मदन महल और मंडला के किले में खुलती हैं |  मोती  महल (Moti Mahal ) गोंड राजाओं की शक्ति और वैभवशाली परम्परा की अनमोल धरोवर है |मध्यप्रदेश शासन  द्वारा  मोती महल को सन्  1984 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है |

मोती महल  का निर्माण | Construction Of Moti Mahal-

किवदंतियों के अनुसार  राजा हृदय शाह  तंत्र विद्या में माहिर थे | हृदय शाह ने तंत्र शक्ति से मोती  महल का निर्माण ढाई दिन में करवाया था जिसमें महल के पत्थर हवा में उड़ कर आये थे  | परन्तु आधुनिक इतिहासकार इस बात को सिरे से नकारते है उनके अनुसार   हृदय शाह तंत्र विद्या के बहुत बड़े जानकार थे परन्तु इस महल का निर्माण में पत्थर हवा में उड़ कर आने की बात सही नहीं कही जा सकती और महल का निर्माण सन्  1651 से सन्  1667 के बीच हुआ है  और महल निर्माण में लगे अष्टफलकीय पत्थर बाहर से बुलवाये गये थे और जो पत्थर काला पहाड़ के पास रखे हें वो महल निर्माण के बाद बचे पत्थर हैं |इस महल के नजदीक ही दो महल और हैं जिन्हें ''राय भगत की कोठी'' और'' रानी महल'' के नाम से जाना जाता है |माना जाता है कि रामनगर में इतना सोना था कि आज भी रामनगर के आसपास  खुदाई के दौरान लोगों को सोना मिलने की खबर मिलती रहती हैं |महल के आसपास लोगों ने अतिकृमण भी कर लिया है |

विष्णु मंदिर रामनगर ( मंडला) | Vishnu Temple Ramnagar Mandla

 
Vishnu Mandir Ramnagar Mandla
Vishnu Mandir Ramnagar Mandla

मोती महल से तीस मीटर की दूरी पर विष्णु मंदिर स्थित है  जिसका निर्माण  राजा हृदय शाह की रानी सुन्दरी देवी करवाया गया | मंदिर पंचायतन शैली में निर्मित है |मंदिर के प्रत्येक कोने में एक-एक छोटे कक्ष हैं और बीच में खुला बरामदा है | मंदिर का निर्माण दयाराम और भागीरथ नामक कारीगरों द्वारा किया गया |यह  मंदिर भगवान विष्णु  को समर्पित है मंदिर में  भगवान विष्णु के अतिरिक्त भगवान शिव, गणेश, सूर्य और माँ  दुर्गा की प्रतिमाएं थीं परन्तु अब कोई भी प्रतिमा मंदिर में नहीं है  |इस मंदिर को भी सन्  1984 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है |

राय भगत की कोठी रामनगर ( मंडला) | Ray Bhagat Ki Kothi Ramnagar Mandla-

RAI BHAGAT KI KOTHI MANDLA , MANTRI MAHAL RAMNAGAR, RAMNAGAR KA KILA
RAY BHAGAT KI KOTHI RAMNAGAR MANDLA

 

यह  कोठी  मोती महल से कुछ ही दूरी पर स्थित है |  राजा हृदय शाह द्वारा इस भवन का निर्माण अपने दीवान  राय भगत के लिए करवाया गया था | इसीलिए इसे राय भगत की कोठी (Rai Bhagat Ki Kothi ) कहा जाता है |इसे मंत्री महल के नाम से भी जाना जाता है | यह महल मोती महल और विष्णु मंदिर के समकालीन है | महल दक्षिण मुखी है महल का प्रवेश द्वार संगमरमर पत्थर द्वारा निर्मित है |प्रवेश द्वार की छत पर  बहुत ही  सुन्दर चित्रकारी बनी हुई है |इस महल के आँगन में बीचो-बीच पानी का कुंड है और आँगन के चारो ओर कमरे एवं  मेहराबों से युक्त दालान निर्मित है |  महल के कमरे दो स्तरों में बने है बहरी स्तर के कमरे बड़े हैं जिसमे पर्याप्त प्रकाश मिलता  है जबकि अन्दर के कमरे छोटे हैं और इनमें कम प्रकाश आ पाता  है |महल के ऊपर चारो और फलकदार गुम्बद  बने हैं  |महल की छत के आंतरिक भाग  में एक दीवार बनाई गई है जिससे महल के भीतर का दृश्य दिखलाई ना दे |महल के बाहर  रसोई घर बना है | यह महल देखने में मोती महल का संछिप्त संस्करण प्रतीत होता है | इसे भी सन्  1984 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है |


रानी (बेगम ) का महल रामनगर ( मंडला)  | Rani (Begam) Mahal Ramnagar Mandla-

RANI MAHAL RAMNAGAR MANDLA, BEGAM MAHAL RAMNAGAR, BAGHELAN MAHAL RAMNAGAR , MANDLA KA KILA, RAMNAGAR MANDLA KA KILA
RANI (BEGAM) MAHAL RAMNAGAR MANDLA

 

 मोती महल से लगभग 3 किलोमीटर दूर रानी का महल स्थित है इसे बेगम महल या बघेलन महल भी कहा जाता है | यह महल भी मोती महल और राय भगत की कोठी के समकालीन है | रानी महल (Rani Mahal) राजा हृदय शाह द्वारा  चिमनी रानी के लिए बनवाया गया था |राजा ह्रदय शाह ने मुग़ल दरबार में संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी और संगीत में कई प्रतियोगितायें  जीती थीं , यहीं उन्हें मुग़ल राजकुमारी चिमनी से प्रेम हो गया था और मुग़ल बादशाह की अनुमति से विवाह कर रामनगर ले आये थे और उनके लिये इस महल का निर्माण करवाया | मुग़ल शैली में  बना यह  तीन मंजिला महल है | महल में आगे और पीछे दो बड़े हालनुमा कमरे हैं और महल की बेचो-बीच रानी का कमरा है | आजू-बाजु छोटे कमरे बने हैं | महल की उपरी मंजिल पर एक बड़ा हाल और चार कमरे हैं जो  गुंबद  के नीचें हैं |महल के बाहरी ओर हमाम नुमा बाबडी बनी हे जिसमे रानियां स्नान किया करती थीं | बाबडी में जाने के लिए दोनों और से सीढियां युक्त रास्ता है |  महल की हालत जर्जर हो चुकी है |  इसे भी सन्  1984 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है |

दल बादल महल | Dal Baadal Mahal-

DAL badal mahal ramnagar mandla
Dal Baadal Mahal Ramnagar Mandla

 

यह महल मोती महल महल और रानी महल के बीच चौगान में स्थित है | यह महल राजा हृदय शाह द्वारा  अपने सेनापतियों और सेनिकों के लिए बनवाया था | इस महल का संरक्षण ना होने के कारण खंडहर में तब्दील हो गया है | इस महल की छत भी गिर चुकी है और अब  कुछ दीवालें ही शेष बची है |इस महल के चारो तरफ बड़ी दीवाल थी और महल में कई छोटे बड़े कमरे थे |

चौगान  | Chougan - 

यह स्थान रामनगर से लगभग 3 किलोमीटर दूर है  | पहले यहां 2 मील लम्बा और 2 मील चौड़ा मैदान था जिसमे हांथी और घोड़ों को युद्ध का प्रशिक्षण दिया जाता था | अब यह एक देवी स्थान के रूप में जाना जाता है | यहां नवरात्री में दूर -दूर से लोग अपनी मन्नत मांगने के लिए आते हैं | लोग मन्नत पूरी होने पर यहां जवारे रखते हैं|

काला पहाड़,रामनगर मंडला  | Kala Pahad Rmangar Mandla -

रामनगर से 4 किलोमीटर दूर अष्ट-फलकीय काले पत्थरों का पहाड़ है इसीलिये इसे  काला-पहाड़  कहा जाता है | किवदंतियों के अनुसार ये राजा ह्रदय शाह की तंत्र साधना के कारण इसी काले पहाड़ से पत्थर उड़-उड़ कर महल  वाले स्थानों तक गए थे  और ढाई दिनों में महलों का निर्माण  हुआ | इतिहास करों के अनुसार संभवतः  रामनगर के महलों के निर्माण के लिये ये पत्थर  बाहर से मंगवाये गए थे और महल निर्माण हो जाने के बाद जो पत्थर बच गए उन्हें यहीं छोड़ दिया गया और ये पहाड़ के रूप में दिखलाई देते है |इन पत्थरों पर आज  भी कोई वनस्पति नहीं पाई जाती |
Kala Pahad Ramnagar Mnadla, काला  पहाड़ रामनगर मंडला
Kala Pahad Ramnagar Mnadla

जिला मुख्यालय मंडला से 16 किमी की दूरी पर गोंड वंश के राजाओं की राजधानी रामनगर बसा हुआ है। इस क्षेत्र का इतिहास प्राचीन होने के साथ गौरवशाली भी है।
यहां पर 350 साल पहले राजा हृदय शाह ने मोतीमहल का निर्माण करवाया था जो उस समय की वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।
सीमित संसाधन और तकनीक के बावजूद पांच मंजिला महल राजा की इच्छाशक्ति की गवाही देता है। समय के साथ ही दो मंजिलें जमीन में दब गई हैं लेकिन तीन मंजिलें आज भी देखी जा सकती हैं।
इस महल की वास्तुकला को देखने देशी- विदेशी पर्यटक पहुंचते रहते हैं। गोंडवाना काल के दौरान राजा संग्राम शाह शक्तिशाली और वीर योद्धा रहे।
उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ीं तथा 52 गढ़ों पर जीत हासिल कर गोंडवाना साम्राज्य की स्थापना की। संग्राम शाह के वंशज राजा हृदय शाह ने रामनगर को राज्य की राजधानी बनाया।
उन्होंने चार महलों का निर्माण करवाया था। इनमें मोतीमहल आज भी खड़ा है। यह सबसे विशाल और सुंदर महल है।
इसका निर्माण सन् 1667 में करवाया गया था। इसके अलावा इसी के पास रायभगत की कोठी भी दर्शनीय महल है। राजा ने रानी के लिए ‘बेगम महल’ और सेनापतियों के लिए ‘बादल महल’ का निर्माण भी करवाया था।
इन महलों को देखने के लिए पर्यटक रोजाना पहुंचते हैं। कान्हा नेशनल पार्क आए अनेक विदेशी पर्यटक बड़ी बारीकी से किए इस निर्माण को देखकर अचंभित रह जाते हैं।
मोतीमहल नर्मदा के किनारे स्थित है और इसके झरोखों से नर्मदा का सौंदर्य दिखाई पड़ता है। इस महल में पांच मंजिलों में 100 से अधिक कमरे हैं।
इसमें अस्तबल, हाथीखाना भी बना हुआ है। रानियों के स्नान के लिए एक विशालकाय हौज बनी हुई है। जिसे नर्मदा जल से भरा जाता था।
विष्णु मंदिर की मूर्तियां संग्रहालय में : पुरातत्व संग्रहालय मंडला की प्रभारी हेमंतिका शुक्ला और इतिहासकार प्रो. शरद नारायण खरे ने बताया कि रामनगर में प्राप्त मूर्तियां गोंडकालीन मूर्तिकला का बेहतरीन साक्ष्य हैं।
मोतीमहल के सामने ही विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया गया था। जहां पर पुरातन प्रतिमाएं थीं। इन प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने के लिए मंडला संग्रहालय में जगह दी गई है।
ये चार नंदी, सूर्य प्रतिमा, गणेश प्रतिमा, कोमारी प्रतिमा हैं। 1984 में रामनगर के स्मारकों को मप्र शासन के पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया है।
कंवदंती : हवा में उड़कर आते थे पत्थर
किंवदंती है कि रानी महल का निर्माण ढाई दिन में पूर्ण करा लिया गया था। महल से लगभग 4 किमी दूर अष्टफलक पत्थरों का बहुत बड़ा ढेर आज भी पहाड़ के ऊपर है।
इसे अब काला पहाड़ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इसी स्थान से पत्थर उड़कर महल निर्माण स्थल तक पहुंचते थे। यह सब तंत्र शक्ति से संभव हुआ था।
उस समय राजा तंत्र शक्ति को बहुत मानते थे। इस पर लोगों को सहज विश्वास इसलिए भी हो जाता है कि 16वी शताब्दी में ऐसे कोई विशेष संसाधन नहीं थे, फिर भी अष्टफलक वजनी पत्थर महल निर्माण स्थल तक पहुंच गए।
कई राजाओं ने किया शासन
1634 से 1668 के बीच रामनगर राजा हृदय शाह की राजधानी रहा। इसके बाद 1685 तक छत्रशाही ने, 1688 तक केशरीशाही ने, 1732 तक नरेंद्रशाह बुर्ज ने, 1742 तक महाराज शाही ने, 1749 तक शिवराज शाही ने, कुछ समय तक दुर्जन शाही, फिर 1749 से 1776 तक महिपाल शाही ने, 1778 तक नरहरि शाही ने राज्य किया।
इस राजवंश का अंतिम शासक सुमेद शाही को माना जाता है। इसके बाद यहां 1781 से 1799 तक मराठों का शासन रहा।

0 टिप्पणियाँ: