नवरात्रि नही नरूंग दाई गोंगो
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 सेवा सेवा, सेवा जोहार  सगापाड़ी ,

    आज बोहत लोग नवरात्रि और गुढी पाडवा की बधाई दे रहे है ,पर एक बात गोंडिअन होने के नाते मेरी संस्कृति ये त्यौहार मनाने की अनुमति मुझे देती है क्या?
इसका जवाब है हिंदुओंके तरीकेसे नही तो हमारा त्यौहार हाईजैक किया गया है।
 हमारा गुढीपाडवा न होकर मांडवास है और नवरात्रि न होकर नरुंग दाई सेवा है।

नरुंग दाई सेवा मतलब भीमाल पेन की सबसे छोटी बहन जिन्हें हम खेरोदाइ या शीतला दाई,बैगा दाई कहते है उनका और उनके 8 शिष्याओंका उन्होंने हमारे मानव जाती के लिए जो कुछ किया उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए करते है।
  बैगा दाई आयुर्वेद में निपुण थी । उन्हें कई प्रकार की औषधियों से और जड़ी बूटियों से मानवके रोगों को दूर किया। उनके साथ उनकी शिष्याए भी सम्मिलित थी।

इनके सम्माण में हम नरुंग बइगा गोंगो करते है जिसमे हम कलश जिसे हम घट कहते है उसको शितला दाई के नाम से स्थापित करते है। इस मिटटी के कलश में पानी होता है और उस पर हम दिया जलाते है।
यह पूरी तरह प्राकृतिक है।
जैसे की कलश मिटटी का हैं,उसमे पानी है,दिये में अग्नि है,अग्नि बिना हवा के नही जल सकती तो वायु है और यह सब आकाश के निचे हम स्थापित करते है मतलब पृथ्वी,अग्नि,जल,आकाश,और वायु तत्वों की हम पूजा कर रहे है मतलब indirectly प्रकृति को एक जिव की तरह मानकर उसकी सेवा कर रहे है।

नरुंग मतलब 9 दाई की सेवा में हम जवारा भी बोते है।
हमने कभी काल्पनिक देवीयोको नही देखा न उनकी भ्रमित करनेवाली कथाओ को सुनना चाहिए।हम प्रकृति पूजक है हमे प्रकृति की ही पूजा करनी चाहिए
इसलिए हमे नवरात्रि में काल्पनिक देवियो की पूजा न करते हुए नरुंग बैगा दाई का सुमिरन किया जाना चाहिए ।
सभी सगापाड़ी को पूनल सावरी पाबून की बहुत बहुत बधाई
💐💐💐 as MARKAM

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