It is enough for me to be a tribal, every first step was in the preservation of nature.मेरा आदिवासी होना ही काफी हैप्रकृति के संरक्षण में, हर पहला कदम मेरा था।


मेरा आदिवासी होना ही काफी है मेरी हत्या के लिए,
नक्सली व मुखबीर होना तो बस बहाना है।
मेरी माटी पर है नजर तुम्हारी,
विकास व समसरता तो बस फसाना है।
छीन लेना चाहते हैं सारी सम्पदाएं मुझसे,
जो प्रकृति ने मुझे दिया प्यार से।
मैनें सरंक्षण किया सबका,
ना चाहपर अब लूटते हैं व्यापार से।
गहरी है इतिहास मेरी, अलिखित मेरा संविधान था,
था प्रकृति प्रेम का अद्भुत मिश्रण, गोंडवाना की माटी भी महान था।
पर लूट लिया तुम सबने, मेरी सारी सम्पदायें,
किया प्रकृति के नियमों से खिलवाड तो आएंगी आपदायें।
मानव सभ्यता के विकास में या हर क्रांति के आगाज में
प्रकृति के संरक्षण में, हर पहला कदम मेरा था।
मैनें नदियों संग जीना सीखा, पेडों के साथ बढना सीखा,
पंक्षियों संग बोलना सीखा, पशुओं संग चलना सीखा।
मैं जंगलों में रहकर उसी के रूप में ढलने लगा,
प्रकृति के आंचल में मुस्कुरा कर पलने लगा।
पर उनकी क्रूर नजर से बच नहीं पाया,
मेरी माटी मेरे वन साथ रख न पाया।
चन्द कौड़ी के लालच में लूट गयी मेरी माटी और वन,
छोड़ अपनी मातृभुमि किया मेरा विस्थापन।
अब दर-दर भटक रहा रोजी, रोटी और मकान के लिए
मेरा आदिवासी होना ही काफी है मेरी पहचान के लिए।

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