गौरवशाली गोंडवाना साम्राज्य के जन नायक

                  गौरवशाली गोंडवाना साम्राज्य के जन  नायक 
महाराजा संग्रामशाह (१४६९ ई। जन्म १४८० राजयभिषेक (५२ गढ़ ,५७ परगना )१५४० लिंगोवास )
गढ़ा कटंगा गोंडवाना राज्य पुलस्त्यवंशी नागवंशी यदुराय मरावी -अपने मामा (ससुर )छुरदेव नागदेव
राजा का उत्तराधिकारी १५७ ई में हुआ यदुराय राजा के ४८ वे पीढ़ी में अर्जुनसिह मरावी राजा के पुत्र संग्रामशाह राजा हुए उन्होंने अपने पराक्रम से ५२ गढ़ (वर्तमान जिला )जित लिया उनके पास आपार आत्मविश्वास तथा युद्ध जितने की कौसलता थी कहते है की वे तंत्र -मंत्र के ज्ञानी शक्ति के उपासक थे | विश्व में तांत्रिक सिद्धि प्राप्त करने के लिए गढ़ कटंगा बजाना मठ में योगी आते थे। वहाँ पर गोरख पंथ यही से उपजी पंथ है जो पूर्वांचल में खूब फली फूली गढ़ बंगला और असम में अनेक साधना स्थल बनाये गए। राजा संगरमशाह ६२ वर्ष तक शासन किया। . तत्कालीन हिन्दोस्तान में कोई भी इतना समृद्ध और शक्तिसाली राजा नहीं था।  दक्षिण
का राज्य। महँ विजयनागरम को सुल्तान बहमनी धवस्त कर चुके थे। वे आपस में लड़कर स्वय कमजोर हो गए थे राजपूतो में संग्रामशाह से टकराने सोचा भी नहीं जा सकता था इब्राहिम लोदी दिल्ली का सुल्तान स्वय राजा संग्रामशाह से संधि प्रस्ताव रखकर दिल्ली को मुक्त रखा था

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